गर्मी के दिन थे। बादशाह ने उसी फाल्गुन में सलीमा से नई शादी की थी। सल्तनत के सब झंझटों से दूर रहकर नई दुलहिन के साथ प्रेम और आनंद की कलोलें करने, वह सलीमा को लेकर कश्मीर के दौलतख़ाने में चले आए थे। रात दूध में नहा रही थी। दूर के पहाड़ों की चोटियाँ चतुरसेन शास्त्री
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
एक समय की बात है। एक अमीर जमींदार रहता था, उसके पास कई जमीनें थीं लेकिन वह कंजूस था। पैसे उधार देते समय वह बहुत सतर्क रहता था। इसलिए, गांव के किसान कभी भी उसकी जमीन पर खेती करने के लिए तैयार नहीं हुए। प्रत्येक बीतते दिन के साथ, ज़मींदार की ज़मीन अपनी जल धारण शक्ति खोने लगी और बंजर बन गई।
शेख़ हसीना के मामले में भारत के सामने क्या हैं विकल्प?
” alludes to the classical songs tradition, symbolising the intricate and harmonious yet often discordant rhythms of existence in the village.
चारों तरफ से सियारों ने सुरसिंह को नोच-नोच कर जख्मी कर दिया था।
यह बच्चों के लिए एक गुजराती लोक कथा है।
Graphic: Courtesy Amazon Published by Agyeya, the pen title of Satchidananda Hirananda Vatsyayan, this Hindi fiction e book was originally released in 1940. The novel is actually a groundbreaking work and is taken into account a landmark in Hindi literature. Agyeya, an influential figure during the Chhayavaad motion, provides to lifestyle the tumultuous journey with the protagonist, Shekhar, through numerous phases of his existence. The novel explores Shekhar’s evolution here from a carefree and idealistic youth to some mature person grappling Using the complexities of existence.
मंदिर के बाहर कुछ लड़कों ने उसे पकड़ लिया।
बड़े-बड़े मकानों, बड़ी-बड़ी दूकानों, लंबी-चौड़ी सड़कों, एक से एक बढ़ के कारख़ानों और रोज़गारियों की बहुतायत ही के सबब से नहीं, बल्कि अंग्रेज़ो की कृपा से सैर तमाशे का घर बने रहने और समुद्र का पड़ोसी होने तथा जहाज़ी तिजारत की बदौलत आला दरजे की तरक़्क़ी माधव प्रसाद मिश्र
चिंटू काफी मशक्कत करता है फिर भी वह बाहर नहीं निकल पाता।
दुर्भाग्य से इस कहानी की अब तक की गई चर्चा सिर्फ़ इसके कथ्य यानी एक गहरे भावुक प्रेम की त्रासद विडंबना के ही संदर्भ में की गई है और जिसका आधार लहना सिंह और उसकी प्रेमिका के बीच के इस संवाद तक हमेशा समेट दिया जाता है :
वह इतना सुधर गया था , गली में निकलने वालों को परेशान भी नहीं करता।
एक दिन शेरू को राहुल ने एक रोटी ला कर दिया।